व्यावहारिक ज्ञान पर एक बेहतरीन कहानी
A Story On Commonsense
रामदीन नाम का एक लकडहारा एक कई सालों से लकड़ियां काटकर अपने परिवार का भरण – पोषण कर रहा था. वह सालों से कड़ी मेहनत के साथ पूरे दिन लकड़ियाँ काटता रहता परन्तु इतनी मेहनत के बाद भी उसके परिवार की आर्थिक स्थित में कोई सुधार नहीं हो रहा था. लकडहारे का जीवन इसी तरह कट रहा था कि अचानक एक दिन जंगल में उसकी मुलाकात एक दुसरे लकडहारे श्यामू से हो गयी.
कुछ ही दिनों में ही दोनों की अच्छी जान – पहचान हो गयी. और एक दिन जब दोनों एक साथ – साथ लकड़ियाँ काट रहे थे तब रामदीन ने देखा कि श्यामू काम के बीच – बीच में थोडा सा आराम भी कर लेता था. लेकिन शाम होने पर जब दोनों ने अपनी – अपनी लकड़ियाँ इक्कठी की तो रामदीन श्यामू की लकड़ियों का ढेर देखकर हैरान रह गया. “क्योंकि श्यामू की लकड़ियों का ढेर रामदीन की लकड़ियों की तुलना में दो गुने से भी ज्यादा था.
रामदीन को समझ नहीं आ रहा था कि अभी एक साल से कम समय से लकड़ी काटने की शूरुवात करने वाला यह श्यामू आराम – आराम से काम करते हुए भी उससे दोगुना लकड़ियाँ कैसे काट सकता है. वह बड़ी उधेड़ – बुन में अपनी लकड़ियाँ लेकर घर चला गया. लेकिन वह श्यामू के द्वारा कम समय में इतनी लकड़ियाँ काटने के कौशल के बारे में सोंचकर खुद को हीन समझने लगा.
आखिर कार उसने यह निर्णय लिया कि वह श्यामू से इस बारे में बात करेगा कि इस काम में वह उसकी तुलना में नया होने के बावजूद किस तरह से इतनी ज्यादा लकडियां काट लेता है. जबकि वह सालों का अनुभव एवं पूरा दिन मेहनत से काम करने के बावजूद उसकी तुलना में आधी लकड़ियां ही क्यों काट पाता है.
आखिरकार उसने एक दिन हिम्मत जूटाकर श्यामू से पूंछ ही लिया कि “मैं पिछले 12 -13 साल लकड़ियाँ काट रहा है जबकि तुम अभी एक साल से ही लकड़ियां काटने का काम कर रहे हो. और मैं हर रोज पूरा दिन लकड़ियाँ काटता रहता हूँ जबकि तुम बीच – बीच में थोडा आराम कर लेते हो, इसके बावजूद तुम मुझसे दो गुनी लकडिया कैसे काट लेते हो.
मैं इस बात से बहुत अचंभित हूँ कि तुम मुझसे कम अनुभव होने के बाद एवं मुझसे कम समय में इतना काम कैसे कर लेते हो. रामदीन की बात सुनकर श्यामू ने बड़े आराम से कहा कि, “भाई रामदीन, मैं तुमसे कम समय में इतनी अधिक लकड़ियाँ इसलिए काट लेता हूँ क्योंकि मैं हर एक पेड़ काटने के बाद 5 मिनट के लिए अपनी कुल्हाडी की धार तेज करता हूँ.”
फ्रेंड्स, कई बार हम लोग लकड़ियाँ काटने में इतना व्यस्त हो जाते हैं कि अपनी कुल्हाडी में धार लगाना ही भूल जाते हैं. जबकि किसी काम में परफेक्ट बनने के लिए हमें मेहनत के साथ – साथ दिमाग से काम करने की जरूरत होती हैं. इसलिए किसी भी काम में सफलता हासिल करनी हो तो समय – समय पर अपनी कुल्हाडी की धार तेज करना मत भूलना.
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very nice story
Thanks Akhilesh Ji…